youth a curse

एक नजरिया जो एक लेख को जन्म देता है। ऐसा ही एक मेरा नजरिया जो मैं आप लोगों के साथ साझा कर रहा हूं। 


प्रत्येक व्यक्ति का जीवन एक खुले दर्पण के समान है मानव जब जन्म लेता है तो उसके लिए सब कुछ समान होता है अर्थात गरीबी अमीरी, उच्च नीच, बलवान निर्बल के  प्रभाव का आंकलन नहीं होता है, परन्तु जैसे जैसे वह बड़ा होता जाता है उसकी हर चीज  की परख होने लगती है एक  समय  जब  युवा  हो जाता  है तो  उसकी प्रविर्ती ऐसी  होने लगती  है की वह सब कुछ जानने  वाला हो गया है अर्थात उसके  अहंकार सीमा भी चरम स्तर पर  पहुँच जाती है ।  फिर जैसे  जैसे उसकी उम्र बढ़ती  जाती  है फिर  अपने भूत के  अच्छे बुरे  अवसरों और उपलब्धियों का स्मरण कर जीवन  जीने व जीवन यात्रा पुनः बाल्यावस्था के समान पूर्ण  करता  है। 


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